क्रिकेटी हार
मैं कैसे कह दूं दोस्त की मैं हार में खुश हूं।
पर वो खेल का मैदान था, चौसर तो नही था।।
दो वीर यदि लड़ेंगे तो हारेगा एक कोई।
शकुनी जो फेंके पासा, ये अवसर तो नहीं था।।
सौ बार तक गिने और फिर चलाए चक्र।
न शिशुपाल था सभा में न तो कृष्ण कोई था।।
ये खेल था बस इसको इक खेल ही समझो।
न राज्य दांव पर था न धर्म युद्ध कोई था।।
Take it as sports
Jai hind