Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Jun 2022 · 1 min read

✍️क्रांतिसूर्य✍️

✍️क्रांतिसूर्य✍️
————————//
माझ्या
कफल्लक
लेखनी ने
निर्मिकाला
भाषेचे ज्ञान
मागीतले,
भाषेने
शब्दाचे दान
मागीतले,
शब्दाने
अर्थाचे
ऋण मागीतले,
अर्थाने
आयुष्यभर
व्याज फेडण्याचे
कबूल केले
जरीही…

तरीही…
तुझ्या
अगाध कीर्तिवर
तुला समर्पित
कवनाने
परतफेड
करण्याचे
धाडसच
माझ्या लेखनीत
निर्माणले नाही

तुझ्या अफाट
ज्ञानसाधने पुढे
सारे भाषाशास्त्र
निकामी…
तुझ्या अथांग
विचारसाहित्या पुढे
सारे शब्दकोश
रिकामी…

तू दिला
शब्दसूर्य
अन माझ्या
लेखनीचा
मशाल होण्याचा
अभिमान
सार्थ ठरला!
अन कफल्लक
जिन्दगीला
जगण्याचा नवा
अर्थ कळाला!
————————————-//
✍️”अशांत”शेखर✍️
09/06/2022

Language: Marathi
3 Likes · 342 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
Dr arun kumar शास्त्री
Dr arun kumar शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
तूँ है कि नहीं है ये सच्च सच्च बता
तूँ है कि नहीं है ये सच्च सच्च बता
VINOD CHAUHAN
*फहराओ घर-घर भारत में, आज तिरंगा प्यारा (गीत)*
*फहराओ घर-घर भारत में, आज तिरंगा प्यारा (गीत)*
Ravi Prakash
खोज करो तुम मन के अंदर
खोज करो तुम मन के अंदर
Buddha Prakash
पूरा दिन जद्दोजहद में गुजार देता हूं मैं
पूरा दिन जद्दोजहद में गुजार देता हूं मैं
शिव प्रताप लोधी
“ मैथिल क जादुई तावीज़ “ (संस्मरण )
“ मैथिल क जादुई तावीज़ “ (संस्मरण )
DrLakshman Jha Parimal
To my dear Window!!
To my dear Window!!
Rachana
गुजर गई कैसे यह जिंदगी, हुआ नहीं कुछ अहसास हमको
गुजर गई कैसे यह जिंदगी, हुआ नहीं कुछ अहसास हमको
gurudeenverma198
जितने भी मशहूर हो गए
जितने भी मशहूर हो गए
Manoj Mahato
ମୁଁ ତୁମକୁ ଭଲପାଏ
ମୁଁ ତୁମକୁ ଭଲପାଏ
Otteri Selvakumar
सूरज चाचा ! क्यों हो रहे हो इतना गर्म ।
सूरज चाचा ! क्यों हो रहे हो इतना गर्म ।
ओनिका सेतिया 'अनु '
गरीबी के मार,बीवी के ताने
गरीबी के मार,बीवी के ताने
Ranjeet kumar patre
मुझे ढूंढते ढूंढते थक गई है तन्हाइयां मेरी,
मुझे ढूंढते ढूंढते थक गई है तन्हाइयां मेरी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मनांतर🙏
मनांतर🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
"परेशान"
Dr. Kishan tandon kranti
मेरे बस्ती के दीवारों पर
मेरे बस्ती के दीवारों पर
'अशांत' शेखर
..
..
*प्रणय*
*माँ शारदे वन्दना
*माँ शारदे वन्दना
संजय कुमार संजू
तहजीब राखिए !
तहजीब राखिए !
साहित्य गौरव
4659.*पूर्णिका*
4659.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ऐसी थी बेख़्याली
ऐसी थी बेख़्याली
Dr fauzia Naseem shad
नजराना
नजराना
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
करगिल दिवस
करगिल दिवस
Neeraj Agarwal
ताड़का जैसी प्रवृति और श्याम चाहती हैं,सूपर्णखा सी स्त्रियां
ताड़का जैसी प्रवृति और श्याम चाहती हैं,सूपर्णखा सी स्त्रियां
पूर्वार्थ
जिंदगी को बोझ मान
जिंदगी को बोझ मान
भरत कुमार सोलंकी
बैठी थी मैं सजन सँग कुछ कह के मुस्कुराए ,
बैठी थी मैं सजन सँग कुछ कह के मुस्कुराए ,
Neelofar Khan
मौन संवाद
मौन संवाद
Ramswaroop Dinkar
कभी-कभी ऐसा लगता है
कभी-कभी ऐसा लगता है
Suryakant Dwivedi
विचारों को पढ़ कर छोड़ देने से जीवन मे कोई बदलाव नही आता क्य
विचारों को पढ़ कर छोड़ देने से जीवन मे कोई बदलाव नही आता क्य
Rituraj shivem verma
मेहनत करो और खुश रहो
मेहनत करो और खुश रहो
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
Loading...