क्यों
क्यों आँहे भरता है दिल
क्यों ये साँसे चलती नहीं ।
क्यों ठहर सा गया ये वक़्त
क्यों ये शामें ढ़लती नहीं ।।
जिंदगी इतने भी सितम न कर
आखिर हुई क्या खता मुझसे
क्यों ख्वाबो से है खाली आँखे
क्यों नींदे हुई खफ़ा मुझसे
बंजर हुई इन आँखो में
गम की घटाये छाई है
सुख गए अरमानो के फुल
कली कली मुरझाई है
बंजर हुई इन आँखों में
क्यों नींदे बरसती नहीं
क्यों ठहर सा गया ये वक़्त
क्यों ये शामें ढलती नहीं ।।