क्यों साज रहे
तुम कल रहे हम आज रहे।
फिर दोनों जने नाराज रहे।
खुद को रोक लिए हो मुझको भी मालूम है ये,
मेरे पास आ जाने पर
यादों को फिर क्यों साज रहे।
-सिद्धार्थ गोरखपुरी
तुम कल रहे हम आज रहे।
फिर दोनों जने नाराज रहे।
खुद को रोक लिए हो मुझको भी मालूम है ये,
मेरे पास आ जाने पर
यादों को फिर क्यों साज रहे।
-सिद्धार्थ गोरखपुरी