Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Feb 2017 · 2 min read

क्यों लिखूँ पत्र

“मानस बेटा!चलो कल के हिन्दी टेस्ट का रीविजन कर लो|पत्र याद कर लिया या नहीं” रूचि ने देखा कि मानस फोन में गेम खेल रहा था|उसने मानस के हाथ से फोन लिया और उसे प्यार से समझाया,”बेटा टेस्ट चल रहे हैं आपके और आप गेम खेल रहे हो”
मानस झुँझला कर बोला,”मुझे नहीं याद करना पत्र,उसे क्यों याद करूँ जो मैंने देखा नहीं,जो मैं करता नहीं उसे मैं रट कर कैसे लिखूँ कि मैंने ऐसा किया|एक तरफ तो आप कहते हो कि समझ के और अपने आस पास से जोड़ के पढ़ा करो,पर जो आस पास हो रहा है और जो सच है अगर मैं वो लिखूँगा या सुनाऊँगा तो क्या मैं पास हो जाऊँगा”रूचि बेटे की इस प्रतिक्रिया पर अचंभित थी,पर उसने अपने को संभालते हुए मानस से विस्तार से समस्या जाननी चाही|मानस ने मासूमियत से पूछा,”माँ यह बताओ क्या आप पत्र लिखती हो,क्या कोई आजकल पत्र भेजता है,मैंने तो आज तक देखा भी नहीं कि पत्र कैसा होता है और मेरे दोस्तों ने भी नहीं देखा फिर मैं रट कर यह कैसे लिखूँ कि ‘मित्र तुम्हारा पत्र मिला पढ़कर पता चला कि तुमने परीक्षा में सर्वश्रेष्ठ अंक पाये हैं|’रूचि ने प्यार से कहा,”बेटा यह तो तुम्हें पत्र में लिखना ही पड़ेगा क्योंकि तभी तो तुम शुभकामना दोगे…”मानस बीच में रोकते हुए बोला,”माँ लेकिन मैं तो फोन से शुभकामना देता हूँ और आजकल तो सभी लोग फोन से ही संदेश लेते और देते हैं फिर पत्र कोर्स में क्यों हैं फोन मैसेज या फोन एटीकेट्स कोर्स में क्यों नहीं हैं ताकि हमें इस तरह का झूठ तो रटना और लिखना न पड़े कि ‘तुम्हारा पत्र मिला’
रूचि सोच में पड़ गयी थी आखिर मानस गलत भी तो नहीं कह रहा था|

✍हेमा तिवारी भट्ट✍

Language: Hindi
499 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
रंगों का बस्ता
रंगों का बस्ता
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
57...Mut  qaarib musamman mahzuuf
57...Mut qaarib musamman mahzuuf
sushil yadav
3830.💐 *पूर्णिका* 💐
3830.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
चश्मा साफ़ करते हुए उस बुज़ुर्ग ने अपनी पत्नी से कहा :- हमार
चश्मा साफ़ करते हुए उस बुज़ुर्ग ने अपनी पत्नी से कहा :- हमार
Rituraj shivem verma
रंग रहे उमंग रहे और आपका संग रहे
रंग रहे उमंग रहे और आपका संग रहे
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
गलतफहमी
गलतफहमी
Sanjay ' शून्य'
हर इंसान होशियार और समझदार है
हर इंसान होशियार और समझदार है
पूर्वार्थ
तुम भी तो आजकल हमको चाहते हो
तुम भी तो आजकल हमको चाहते हो
Madhuyanka Raj
चलो स्कूल
चलो स्कूल
Dr. Pradeep Kumar Sharma
"तू ही तू है"
Dr. Kishan tandon kranti
*
*"मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम"*
Shashi kala vyas
दरख्त
दरख्त
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
*आदित्य एल-1मिशन*
*आदित्य एल-1मिशन*
Dr. Priya Gupta
*शिक्षक जी को नमन हमारा (बाल कविता)*
*शिक्षक जी को नमन हमारा (बाल कविता)*
Ravi Prakash
दुनिया वाले कहते अब दीवाने हैं..!!
दुनिया वाले कहते अब दीवाने हैं..!!
पंकज परिंदा
वज़्न -- 2122 2122 212 अर्कान - फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन बह्र का नाम - बह्रे रमल मुसद्दस महज़ूफ
वज़्न -- 2122 2122 212 अर्कान - फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन बह्र का नाम - बह्रे रमल मुसद्दस महज़ूफ
Neelam Sharma
खूब तमाशा हो रहा,
खूब तमाशा हो रहा,
sushil sarna
ज़मीर मर गया सब का..और आत्मा सो गयी .....
ज़मीर मर गया सब का..और आत्मा सो गयी .....
shabina. Naaz
सही कदम
सही कदम
Shashi Mahajan
चंद्रयान ने चांद से पूछा, चेहरे पर ये धब्बे क्यों।
चंद्रयान ने चांद से पूछा, चेहरे पर ये धब्बे क्यों।
सत्य कुमार प्रेमी
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
............
............
शेखर सिंह
ग्रन्थ
ग्रन्थ
Satish Srijan
देश के रास्तों पर शूल
देश के रास्तों पर शूल
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
एक कथित रंग के चादर में लिपटे लोकतंत्र से जीवंत समाज की कल्प
एक कथित रंग के चादर में लिपटे लोकतंत्र से जीवंत समाज की कल्प
Anil Kumar
ये नफरत बुरी है ,न पालो इसे,
ये नफरत बुरी है ,न पालो इसे,
Ranjeet kumar patre
I love you ❤️
I love you ❤️
Otteri Selvakumar
Stop use of Polythene-plastic
Stop use of Polythene-plastic
Tushar Jagawat
नील पदम् के दोहे
नील पदम् के दोहे
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
अगर दुनिया में लाये हो तो कुछ अरमान भी देना।
अगर दुनिया में लाये हो तो कुछ अरमान भी देना।
Rajendra Kushwaha
Loading...