क्यों न बाल दिवस हो उनके निशान पर।
आओ आओ मैं सुनाऊं पुण्य इतिहास में हैं।
खालसा के पंथ पंथ पंथ कुरबान पर।
बीच दरबार में जो चुनवा दिए गए थे।
साहिब के चार शहजादे बलिदान पर।
अजीत जुझार जोरावर फतेह सिंह
गढ़ गए चारों पुत्र ग्रंथ स्वाभिमान पर।
बाल काल में ही सूर्य शीश पे मढ़े थे जो तो
क्यों न बाल दिवस हो उनके निशान पर।
दीपक झा रुद्रा