क्यों न्यौतें दुख असीम
सत्ता की मलाई को जीम
मीडिया समूह बने भीम
फिर सत्ता से टकराव ले
वे क्यों न्यौतें दुख असीम
एजेंडा सेटिंग से हो रहे हैं
मालामाल साल दर साल
फिर वो जनहित की बात
कर क्यों मोल लेवें बवाल
आदिकाल से ही रही यहां
चारणों की खास परिपाटी
सभी मीडिया समूह बनना
चाहते चंदबरदाई के नाती
अब जनसंपर्क के पत्रक से
रह गए हैं आज के अखबार
उसमें कहीं नजर आता नहीं
आमजन का दुख, सरोकार
जनता को खुद तय करना कि
कैसे प्राप्त करें सही जानकारी
सूचनाओं को परोसने में खेल
कर रहे हैं धनिकों के खिलाड़ी