क्यों तुम्हें याद करें
क्यों तुम्हें याद करें, क्या तुमने हमको दिया है।
कब खुशी हमको दी है, कब हमें प्यार दिया है।।
क्यों तुम्हें याद करें—————————-।।
तुम्हारे लिए तो हमने, अपना लहू भी दिया है।
ढेर सारी खुशियों से, दामन तेरा भर दिया है।।
लेकिन हमपे तो तुमने, वार पीछे से किया है।
क्यों तुम्हें याद करें————————।।
हो जाती सच में तुम्हारी, बर्बादी और बदनामी।
जीती तू जिंदगी सच में, बेशहर और गुमनामी।।
मगर तुमने तो चिराग, मेरा ही बुझा दिया है।
क्यों तुम्हें याद करें————————।।
ख्वाब तुमको सच में हमने, अपना ही समझकर।
बसाया था तुम्हें दिल में, खुशी अपनी समझकर।।
मगर तुमने तो खून, मेरे दिल का ही किया है।
क्यों तुम्हें याद करें————————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)