क्यों छोड़ गई मुख मोड़ गई
क्यों छोड़ गई मुख मोड़ गई मैं रोऊ टक्कर मार
बता इब कीत जाऊं
घर तै कटठ्ठे आए थे आज पाटगी न्यारी क्यूं
दगा कमाया प्यारी क्यों कदै हुई नहीं तकरार
मां पूछे तो के बतलाऊं पल-पल मुश्किल होरी सै
चंदा बिना चकोरी है तने टोह टोह गया मैं हार
सुनती हो तो चाली आईये क्यों ज्यादा तड़पावै सै
कित कित धक्के खावै सै तू सुन ले मेरी पुकार
बलदेव सिंह चौहान कहे सबका धनी रुखाला है
जिसका सतका पाला है ना होती देखी हार