क्यों गम करू यार की तुम मुझे सही नही मानती।
क्यों गम करू यार की तुम मुझे सही नही मानती।
तू भी इन्सान है तेरी भी सोच हैं ”मैं भी कहने को इन्सान ही हू।
और खास बात यह हैं की जो सही है वो भी इन्सान ही ह।।
क्यों गम करू यार की तुम मुझे सही नही मानती।
तू भी इन्सान है तेरी भी सोच हैं ”मैं भी कहने को इन्सान ही हू।
और खास बात यह हैं की जो सही है वो भी इन्सान ही ह।।