क्यों इस तरहां अब हमें देखते हो
क्यों इस तरहां अब हमें देखते हो।
अब क्या हमसे तुम चाहते हो।।
कुछ भी नहीं अब तुम्हें देने को
बताना हमें क्या तुम चाहते हो।।
क्यों इस तरहां ————————।।
आवाज दी तुमको, किया इंतजार तेरा।
लेकिन नहीं था, तुम्हें एतबार मेरा।।
सोचा था तुमने, मैं हूँ परदेशी।
आया पसंद क्यों,अब प्यार मेरा।।
उम्मीद हमसे अब, क्या करते हो।
क्यों इस तरहां ————————।।
पसंद क्यों नहीं थी कल,सोहब्बत हमारी।
शौक हमारे वो, मोहब्बत हमारी।।
दौलत नहीं थी कल वह,पास हमारे।
तुम्हें खरीदने को, कल मोहब्बत हमारी।।
अब क्यों निगाहें तुम, हमसे मिलाते हो।
क्यों इस तरहां ————————।।
अफसोस क्यों है अब, ख्वाब जब टूटा है।
जब आज तुमसे, नसीब तेरा रूटा है।।
उस रोशनी में जब, घुटने लगा है दम।
सितारों ने महफ़िल में, मजा तेरा लूटा है।।
आह क्यों अब तुम, यह भरते हो।
क्यों इस तरहां ————————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)