क्यूं कर हुई हमें मुहब्बत , हमें नहीं मालूम
क्यूं कर हुई हमें मुहब्बत , हमें नहीं मालूम
क्यूं कर हुए आशिकी में फ़ना , हमें नहीं मालूम
क्यूं कर उनके दीदार की आरज़ू की, हमें नहीं मालूम
क्यूं कर उठाई जिल्लत आशिकी में , हमें नहीं मालूम
क्यूं कर समझा उन्हें इश्क का खुदा , हमें नहीं मालूम
क्यूं कर निभाई उनसे वफ़ा, हमें नहीं मालूम
क्यूं कर हुए उनके गेशुओं में गिरिफ्तार, हमें नहीं मालूम
क्यूं कर हुईं उनसे आँखें चार , हमें नहीं मालूम
क्यूं कर हुई हमसे खता , हमें नहीं मालूम
क्यूं कर न निभाई उन्होंने वफ़ा, हमें नहीं मालूम
क्यूं कर चुरा रहे वो नज़र, हमें नहीं मालूम
क्यूं कर गए सपने बिखर, हमें नहीं मालूम
क्यूं कर ढहा चाहतों का महल, हमें नहीं मालूम
क्यूं कर उन्होंने गैर का दामन संभाला, हमें नहीं मालूम
रिश्तों में आया ये कैसा ज्वर , हमें नहीं मालूम
इश्क के तार कैसे गए बिखर , हमें नहीं मालूम
क्यूं कर हुई मुहब्बत हमें , हमें नहीं मालूम
क्यूं कर हुए आशिकी में फ़ना , हमें नहीं मालूम
क्यूं कर उनके दीदार की आरज़ू की, हमें नहीं मालूम
क्यूं कर उठाई जिल्लत आशिकी में , हमें नहीं मालूम