क्यूँ?
क्यों????
सबने पाली यहाँ इतनी हसरतें क्यों है?
हर दिल में बसी इतनी नफ़रतें क्यों है?
अपनों को ही यहाँ सब कर के बेगाने
खुशियों की तलाश में भटकते क्यों है?
सबको तो नहीं मिलता मुकद्दर यहाँ
हासिल करने की चाह रखते क्यों है?
मौत तो हर किसी का मुक़म्मल यहाँ
न जाने फिर मौत से सब डरते क्यों हैं?
जिंदगी का कहाँ कोई ठिकाना यहाँ,
मगर जीने के लिए सब मरते क्यों है?
हर किसी का अपना है मुकद्दर यहां
फिर प्रियम सबसे लोग जलते क्यों हैं?
©पंकज प्रियम