क्यूँ? ?
क्यूँ दर्द और गम इतने बेहिसाब होते हैं,
क्यूँ खुशियाँ अक्सर कम हो जाती हैं,
खुलकर हँसने में भी डर-सा लगता है,
क्यूँ हँसने के बाद आंखें नम हो जाती हैं?
क्यूँ दर्द और गम इतने बेहिसाब होते हैं,
क्यूँ खुशियाँ अक्सर कम हो जाती हैं,
खुलकर हँसने में भी डर-सा लगता है,
क्यूँ हँसने के बाद आंखें नम हो जाती हैं?