क्या?
फरेबी है दुनिया, यहाँ एहसासों की बात क्या?
मुखौटा पहने लोगों से बेवजह मुलाकात क्या?
दिल है! आखिरकार समझ ही जायेगा वक्त को
बिन तारों के जगाये जो वो स्याह काली रात क्या?
प्रवीण माटी
फरेबी है दुनिया, यहाँ एहसासों की बात क्या?
मुखौटा पहने लोगों से बेवजह मुलाकात क्या?
दिल है! आखिरकार समझ ही जायेगा वक्त को
बिन तारों के जगाये जो वो स्याह काली रात क्या?
प्रवीण माटी