क्या हिसाब दूँ
क्या हिसाब दूँ
उन रातों का
जो तेरे इन्तिज़ार में गुज़र गयी
हमने सोचा था
अब जल्द होगा सवेरा
रात ही हरजाई थी
तेरी यादों के साथ ठहर गई
हिमांशु Kulshrestha
क्या हिसाब दूँ
उन रातों का
जो तेरे इन्तिज़ार में गुज़र गयी
हमने सोचा था
अब जल्द होगा सवेरा
रात ही हरजाई थी
तेरी यादों के साथ ठहर गई
हिमांशु Kulshrestha