#क्या सिला दिया
#नमन मंच
#दिनांक ३१/१०/२०२४
#विषय क्या सिला दिया
#विद्या गीत
क्या सिला दिया मेरी जांन,
क्या सिला दिया मेरी जांन,
मेरे दिल को दुखा के..
अरमानों की बगियां में
मेरी आग..लगा के !
क्या सिला दिया मेरी जांन,
क्या सिला दिया मेरी जांन,
मेरे दिल को दुखा के
अरमानों की बगियां में
मेरी आग.. लगा के !
हम सोच रहें थे,
कभी दिल की बात कहेंगे !
जीवन में मोहब्बत का
मिलकर घर बसाएंगे..
ये क्या थी खबर तुम
हो जाओगी किसी और की,
रख दोगी एक दिन
मेरी दुनिया को मिटाके !
अरमानों की बगियां में
मेरी आग.. लगा के !
क्या सिला दिया मेरी जांन !
तुम ही दुश्मन नहीं…
दुश्मन है अब जहां भी,
बर्बाद करके मेरे को
नहीं…चैन अभी भी,
नहीं चैन अभी भी !
तेरे कूंचे से अब
खौफ ही बचाएं ख़ुदा का,
अब छुट गया साथ
उनका मेरी राहों से कांटे !
अरमानों की बगियां में
मेरी आग.. लगा के !
क्या सिला दिया मेरी जांन !
मालूम न था… राख में
मिल जाएंगे एक दिन,
सपने जुदाई की आग में…!
चले जाएंगे एक दिन..
तेरे शहर की नामुराद
छोड़ के ये गलियां,
नैया को डुबो दोगे
किनारे पे ही लाके !
अरमानों की बगियां में
मेरी आग लगा के !
क्या सिला दिया मेरी जांन !
स्वरचित मौलिक रचना
राधेश्याम खटीक
भीलवाड़ा राजस्थान