क्या ये नही हो सकता
अभी 7 तारीख को रक्षाबंधन निकला और हमने इसे मनाया भी पर हम रक्षाबंधन मनाते क्यों हैं ?
क्या होता है इस दिन ?
हमने एक कहानी सुनी थी मेवाड़ की रानी कर्मावती को बहादुरशाह द्वारा मेवाड़ पर हमला करने की पूर्व सूचना मिली। रानी लड़ऩे में असमर्थ थी अत: उसने मुगल बादशाह हुमायूँ को राखी भेज कर रक्षा की याचना की। हुमायूँ ने मुसलमान होते हुए भी राखी की लाज रखी और मेवाड़ पहुँच कर बहादुरशाह के विरूद्ध मेवाड़ की ओर से लड़ते हुए कर्मावती व उसके राज्य की रक्षा की।
हमारी परम्पराओ के अनुसार बहन इस दिन भाई की कलाई पर राखी बांधती है और भाई उनकी रक्षा का वचन देता है
पर किससे रक्षा ?
शायद इस समाज से ? यंहा के लोगों से ?
उनकी घूरती हुयी नज़रों से?
किससे..?
तो क्यों हम ऐसा समाज निर्मित नही करते की जिसमे हमारी बहन को कोई खतरा न हो ?
क्यों हमारी बहनों को डर डर के जीना पड़ता है ?
क्यों उन्हें राखी बांध कर अपनी रक्षा के लिए प्रार्थना करनी पडती है?
क्यों न हम ऐसा समाज बनाये जिसमे हमारी बहनों को कोई डर कोई भय न हो
जिसमे वो अकेले कंही भी जा-आ सकें
जिसमे रात के समय भी वो सुरक्षित घर वापिस आ सके
जिसमे उन्हें ये महसूस हो की सभी जगह उसके भाई मौजूद है
और फिर उन्हें किसी कलाई पर राखी बांधकर ये न कहना पड़े की भाई मेरी रक्षा करना..
क्या ये नही हो सकता
~हिमांशु जैन हेमू~