क्या -यही है प्यार ?
काफी समय से देखने को मिल रहा है, कि आजकल जो लोग प्यार मोहोब्बत करते हैं , क्या वो सच में प्यार है ? या सिर्फ दिखावा , इस को प्यार कैसे कह सकते हैं , जिस के अंदर हवस, भोग, विलासता , बेवजह का आकर्षण, दिखावा, नग्नता, फूहड़ता साफ़ साफ़ झलक मारती है ! न जाने क्यूं , लोग इस को प्यार का नाम देकर, इस शब्द को गन्दा कर देते हैं ! प्यार की पवित्रता भंग करके , अपनी हव्स को पूरा करते हैं ! नाम दे देते हैं, लिव इन रिलेशन , क्या है यह और किस ने इस को चलाया, जब से लोगों पर आजकल की फिल्म का दिमाग पर असर पड़ना शुरू हुआ, तब से ही उन्होंने अपनी इच्छापूर्ती को शांत करने के लिए, इस बेलगाम रिश्ते को नाम दे दिया !
यह सब फ़िल्मी दुनिया वालों और टेलीविजन , मोबाईल पर दिखाए जा रहे सिरियल का नतीजा है, यह सब उन तक ही शायद ठीक रहा होगा ! आम इंसान के लिए , रिश्तों को तार तार करने का खुद ही अंदाज सामने आ जाता है, कि हम सामाजिक प्राणी हैं और हम को इन सब से दूर रहना चाहिए !, जो इंसान पारिवारिक प्रष्ठभूमि से आता है, उस के लिए यह पाप है! वो कभी भी इस को नही अपनाएगा, उस के अंदर घर के दिए अगर संस्कार हैं , तो ही वो इस से बचकर चलेगा..!!
जवानी की देहलीज को आज की युवा पीढ़ी को पार करना बड़ा मुश्किल है, वो गलत संगत में पड़कर , अपना खुद का नुक्सान तो करता ही है, साथ ही साथ अपने परिवार के लिए भी कलंक बन जाता है, प्यार नही करता, प्यार के नाम पर लाइन लगा कर अनेको रिश्ते बना लेता है, और यही कहता है, कि मैं उस के साथ बेहद प्यार करता हूँ, वो प्यार नहीं करता, वक्त बर्बाद करता है, कभी अपने सहपाठी के साथ, कभी अपने दोस्तों के साथ, जिन्होंने कभी उस को सही रास्ता नही दिखाया , क्यूंकि उनके खुद के पास सही रास्ते का चुनाव नही हो सका, वो दूसरे के लिए कैसे प्रेरणा बनकर साथ निभा सकते हैं !
सच्ची संगत का मिलना, बहुत बड़ा संजोग होता है, कि जो हर बुराई के लिए आपका मार्गदर्शन अच्छे तरीके से कर सके , देर रात क्लब में जाना, सड़कों पर खड़े होकर गप्पे मारना. आती जाती लड़किओं पर फब्तियां कसना, देर रात घर आकर घर वालों पर धौंस जमा देना, यह सारे लक्षण साबित करते हैं, कि आप कहीं न कहीं से कुंठित हो, उस में यही समझा जा सकता है, कि या तो आपकी हवस पूरी नही हो सकी है, या किसी के प्यार के चक्कर में आप इतने परेशां हो..!!
पढाई लिखाई करने वाला ऐसे बेफाल्तू के झमेलों में नही पड़ सकता, उस को अपने मिशन का पता होता है, कि भविष्य में उस को क्या करना है..उस के दोस्त कम होंगे, अगर होंगे तो वो उस की भावनाओं को समझने वाले होंगे, वो उस के हितैषी होंगे . उस के साथ मिलकर सही रास्ता दिखाने वाले ही होंगे, यथा संभव उनका प्रयास रहेगा, कि हम सब मिलकर कामयाब हो, न जाने उस में से कितने ऐसे होंगे, जिनके घर में दो वक्त की रोटी भी नसीब नही होती होगी…उनको आभास होता है. कि परिवार के लिए कुछ करना है, वो प्यार व्यार के चक्कर से हमेशां दूरी बना कर रखते हैं ! उनको भी मिलता है प्यार , पर वक्त आने पर , दोस्त उनको भी मिलते हैं, पर ऐसे नही मिलते जो उनका जीवन बर्बाद करने वाले होंगे..!!
कोशिश यही होनी चाहिए, कि फ़िल्मी दुनिया से दूर हटकर, अपनी जिन्दगी को सही मंजिल की तरफ ले जाओ, वो लोग तो पैसा कमाने के लिए अभिनय करते हैं, कौन किस का क्या लगता है, आम जिन्दगी में पता चलता है…और इंसान उनकी फिल्म को देखकर. अपना पैसा बर्बाद करता है, , इस लिए अपनी सोच को बदलो, इस आजकल के प्यार के चक्कर में पड़कर जीवन का नाश मत करो, !! सही मार्गदर्शन करने वालों का साथ अपनी जिन्दगी में रखोगे तो जीवन सुखमय रहेगा !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ