क्या फ़र्क था मेरे और उसके इश्क़ में जो मुझसे दूर उसके करीब हो गए ।
क्या फ़र्क था मेरे और उसके इश्क़ में
जो मुझसे दूर उसके करीब हो गए
उसकी दुनिया का तुम एक हिस्सा मगर
हम तुझमें अपनी दुनिया देखते हैं
उसकी याद में तुम रोये बहुत
हम तुम्हारी याद में रोते हैं
चाहत हज़ारों की उसको मगर
मेरी तो सिर्फ तुम हो
उसकी ख्वाहिशें कई
मेरी हर ख्वाहिश में तुम हो
फिर न जाने क्यों हम तेरे इश्क में गरीब हो गए
क्या फ़र्क था मेरे और उसके इश्क़ में
जो मुझसे दूर उसके करीब हो गए