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1 Jan 2025 · 1 min read

क्या तुम भी बदले हो

क्या तुम भी बदले हो
क्या मैं भी बदला हूं
साल जो बदला है
क्या हाल भी बदला है
क्या तेरी मेरी मानसिकता का
क्या स्तर भी बदला है
भूख, गरीबी बदहाली का
क्या मंज़र भी बदला है
गंदी नदियां, गंदे नाले
क्या सड़कों का
हाल भी बदला है
मारे-मारे सड़कों पे फ़िरते
नंगे भूखे, लाचार, अभागे
क्या कुछ इनमें बदला है
आपसी घृणा, नफ़रत का
क्या माहौल भी बदला है.
डाॅ फौज़िया नसीम शाद

1 Like · 18 Views
Books from Dr fauzia Naseem shad
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