Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Oct 2022 · 1 min read

क्या ज़रूरत थी

थी तेरी हसरत
उसे अपना बनाने की
क्या ज़रूरत थी
ये बात ज़माने को बताने की

चाहत थी तेरी
ज़िंदगी संग उसके बिताने की
क्या ज़रूरत थी
ये बात तुम्हें सबको बताने की

सिर्फ वो तेरी नहीं
सबके लबों पर है अब वही
क्या ज़रूरत थी
महफिल में गज़ल सुनाने की

आदत है जिनकी
शीशे के महलों में रहने की
क्या ज़रूरत थी
उन्हें आईना दिखाने की

भीगी हुई थी वो
बरसात अपने शबाब पर थी
क्या ज़रूरत थी
उसे आज फिर रुलाने की

प्रचार से कुछ नहीं होता
कहते हो, किरदार में दम होना चाहिए
फिर क्या ज़रूरत थी
जगह जगह ये इश्तिहार लगाने की।

Language: Hindi
9 Likes · 1033 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
View all
You may also like:
"लिहाज"
Dr. Kishan tandon kranti
ये इश्क़-विश्क़ के फेरे-
ये इश्क़-विश्क़ के फेरे-
Shreedhar
मुहब्बत भी इक जरूरत है ज़िंदगी की,
मुहब्बत भी इक जरूरत है ज़िंदगी की,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मेरी प्रीत जुड़ी है तुझ से
मेरी प्रीत जुड़ी है तुझ से
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
सभी नेतागण आज कल ,
सभी नेतागण आज कल ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
💐तेरे मेरे सन्देश-4💐
💐तेरे मेरे सन्देश-4💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
ये बता दे तू किधर जाएंगे।
ये बता दे तू किधर जाएंगे।
सत्य कुमार प्रेमी
कभी पलट कर जो देख लेती हो,
कभी पलट कर जो देख लेती हो,
Ajit Kumar "Karn"
मेरी दुआ है तुझे किसी की बद्दुआ न लगे।
मेरी दुआ है तुझे किसी की बद्दुआ न लगे।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
श्री राम जी अलौकिक रूप
श्री राम जी अलौकिक रूप
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
बम बम भोले
बम बम भोले
gurudeenverma198
देख लेते
देख लेते
Dr fauzia Naseem shad
रिश्ते अब रास्तों पर
रिश्ते अब रास्तों पर
Atul "Krishn"
कान में रखना
कान में रखना
Kanchan verma
लघुकथा - घर का उजाला
लघुकथा - घर का उजाला
अशोक कुमार ढोरिया
उत्कंठा का अंत है, अभिलाषा का मौन ।
उत्कंठा का अंत है, अभिलाषा का मौन ।
sushil sarna
😊इशारा😊
😊इशारा😊
*प्रणय*
बहुत खुश हुआ कुछ दिनों के बाद
बहुत खुश हुआ कुछ दिनों के बाद
Rituraj shivem verma
तुम भी पत्थर
तुम भी पत्थर
shabina. Naaz
मैं तो हमेशा बस मुस्कुरा के चलता हूॅ॑
मैं तो हमेशा बस मुस्कुरा के चलता हूॅ॑
VINOD CHAUHAN
गीत- अनोखी ख़ूबसूरत है...पानी की कहानी
गीत- अनोखी ख़ूबसूरत है...पानी की कहानी
आर.एस. 'प्रीतम'
निगाह  मिला  के , सूरज  पे  ऐतबार  तो  कर ,
निगाह मिला के , सूरज पे ऐतबार तो कर ,
Neelofar Khan
4669.*पूर्णिका*
4669.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
नियत और सोच अच्छा होना चाहिए
नियत और सोच अच्छा होना चाहिए
Ranjeet kumar patre
*जैन पब्लिक लाइब्रेरी, रामपुर*
*जैन पब्लिक लाइब्रेरी, रामपुर*
Ravi Prakash
पुरुष_विशेष
पुरुष_विशेष
पूर्वार्थ
नज़्म - चांद हथेली में
नज़्म - चांद हथेली में
Awadhesh Singh
सच्चाई का रास्ता
सच्चाई का रास्ता
Sunil Maheshwari
यदि आप जीत और हार के बीच संतुलन बना लिए फिर आप इस पृथ्वी पर
यदि आप जीत और हार के बीच संतुलन बना लिए फिर आप इस पृथ्वी पर
Ravikesh Jha
पुलिस बनाम लोकतंत्र (व्यंग्य) +रमेशराज
पुलिस बनाम लोकतंत्र (व्यंग्य) +रमेशराज
कवि रमेशराज
Loading...