Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Nov 2024 · 1 min read

क्या गुनाह था कि तुम्हें खोया है हमने

क्या गुनाह था कि तुम्हें खोया है हमने

तेरी याद में आधी रात को उठ के रोया है हमने

तुम्हें याद कुछ इस कदर किया है ,

की हर एक रात किस्तों में सोया है हमने

-दिवाकर महतो
बुण्डू, राँची, (झारखण्ड )

26 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मेरे नयनों में जल है।
मेरे नयनों में जल है।
Kumar Kalhans
सारे गिले-शिकवे भुलाकर...
सारे गिले-शिकवे भुलाकर...
Ajit Kumar "Karn"
जंकफूड यदि करता है बीमार
जंकफूड यदि करता है बीमार
Sonam Puneet Dubey
हर  तरफ  बेरोजगारी के  बहुत किस्से  मिले
हर तरफ बेरोजगारी के बहुत किस्से मिले
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
*जीवन का सार यही जानो, सच्चाई जीवन में घोलो (राधेश्यामी छंद
*जीवन का सार यही जानो, सच्चाई जीवन में घोलो (राधेश्यामी छंद
Ravi Prakash
क़रार आये इन आँखों को तिरा दर्शन ज़रूरी है
क़रार आये इन आँखों को तिरा दर्शन ज़रूरी है
Sarfaraz Ahmed Aasee
बहुत से लोग आएंगे तेरी महफ़िल में पर
बहुत से लोग आएंगे तेरी महफ़िल में पर "कश्यप"।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
"बातों से पहचान"
Yogendra Chaturwedi
अटरू ली धनुष लीला
अटरू ली धनुष लीला
मधुसूदन गौतम
कुंंडलिया-छंद:
कुंंडलिया-छंद:
जगदीश शर्मा सहज
2967.*पूर्णिका*
2967.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*क्रोध की गाज*
*क्रोध की गाज*
Buddha Prakash
भारत की नई तस्वीर
भारत की नई तस्वीर
Dr.Pratibha Prakash
ख़ामोशी
ख़ामोशी
Dipak Kumar "Girja"
वैसे थका हुआ खुद है इंसान
वैसे थका हुआ खुद है इंसान
शेखर सिंह
हरे हैं ज़ख़्म सारे सब्र थोड़ा और कर ले दिल
हरे हैं ज़ख़्म सारे सब्र थोड़ा और कर ले दिल
Meenakshi Masoom
इस धरा का इस धरा पर सब धरा का धरा रह जाएगा,
इस धरा का इस धरा पर सब धरा का धरा रह जाएगा,
Lokesh Sharma
" वाणी "
Dr. Kishan tandon kranti
SHER
SHER
*प्रणय*
कोशिशें हाथ
कोशिशें हाथ
Dr fauzia Naseem shad
तय
तय
Ajay Mishra
राम राज्य
राम राज्य
Shashi Mahajan
क़यामत ही आई वो आकर मिला है
क़यामत ही आई वो आकर मिला है
Shweta Soni
कई वर्षों से ठीक से होली अब तक खेला नहीं हूं मैं /लवकुश यादव
कई वर्षों से ठीक से होली अब तक खेला नहीं हूं मैं /लवकुश यादव "अज़ल"
लवकुश यादव "अज़ल"
काव्य की आत्मा और अलंकार +रमेशराज
काव्य की आत्मा और अलंकार +रमेशराज
कवि रमेशराज
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
देह से देह का मिलन दो को एक नहीं बनाता है
देह से देह का मिलन दो को एक नहीं बनाता है
Pramila sultan
जय भवानी, जय शिवाजी!
जय भवानी, जय शिवाजी!
Kanchan Alok Malu
"" *प्रताप* ""
सुनीलानंद महंत
काश तुम ये जान पाते...
काश तुम ये जान पाते...
डॉ.सीमा अग्रवाल
Loading...