क्या कहे हम तुमको
अच्छा दिया है तोहफा, तुमने यह हमको।
क्या कहे हम तुमको, क्या कहे हम तुमको।।
अच्छा दिया है तोहफा———————–।।
उम्मीद ऐसी तुमसे, की नहीं थी हमने।
सींचा था तेरे चमन को, प्यार से हमने।।
हो गए अब तुम किसी के, छोड़कर हमको।
क्या कहे हम तुमको, क्या कहे हम तुमको।।
अच्छा दिया है तोहफा———————-।।
हमने छुपाकर ऑंसू हमारे, दी खुशी तुमको हमेशा।
तुम पर लुटाकर खुशियां ,रखा हसीं तुमको हमेशा।।
वाह क्या सजाई है महफ़िल, तुमने रुलाकर हमको।
क्या कहे हम तुमको, क्या कहे हम तुमको।।
अच्छा दिया है तोहफा—————————।।
मांगा था क्या हमने तुमसे, सिवा दिल से प्यार के।
प्यासे नहीं थे तेरी दौलत के,प्यासे थे हम प्यार के।।
कर दिया खूं तुमने दिल का, मानकै खिलौना हमको।
क्या कहे हम तुमको, क्या कहे हम तुमको।।
अच्छा दिया है तोहफा————————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला-बारां(राजस्थान)