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5 Jul 2024 · 4 min read

क्या एक बार फिर कांपेगा बाबा केदारनाथ का धाम

अभी हाल की में केदारनाथ से चार किमी ऊपर एक जोर की आवाज के साथ चौराबाड़ी हिमनद में हिमस्खलन हुआ…. हालांकि इस हिमस्खलन से जानमाल का कोई नुकसान नहीं हुआ पर हां….. इस आवाज ने केदारनाथ वासियों की रूह कांपा दी…… एक बार फिर सब के सामने केदारनाथ आपदा का दृष्य घूमने लगा…. और सब के जेहन में एक ही सवाल आया क्या एक बार फिर….. केदारनाथ में आपदा आने वाली है… क्या एक बार फिर…. उत्तराखंड को दिल दहला देने वाली आपदा से जूझना पड़ेगा……

पहले भी हो चुका है हिमस्खलन

केदारनाथ में ये पहली बार नहीं है की कोई हिमस्खलन हुआ हो…. अभी पिछले 8 जून को भी चौराबाड़ी से कुछ ऐसी ही खबर आई थी …. साल 2023 में मई और जून के महीने में चौराबाड़ी से लगे कंपेनियन हिमनद में पांच बार हिमस्खलन की घटना दर्ज हुई…… वहीं…… साल 2022 के सितंबर और अक्तूबर के महीने में यहां 3 बार हिमस्खलन हुआ…… ये सिर्फ इन्हीं सालों की बात नहीं है…. केदारनाथ में ये हिमस्खलन आम है…. ये हर साल ही होते हैं….. पर ऐसा जरूरी नहीं की हर बार ही इस हिमस्खलन से जानमाल को नुक्सान ना हो……… इस बार वैज्ञानिकों ने उत्तराखंड वासियों को एक बड़े संकट की चेतावनी दी है….. बता दें की वैज्ञानिकों का कहना है की…. इस बार उत्तराखंड को ज्यादा बादल फटने और फ्लैश फ्लड की घटनाओं का सामना करना पड़ता है…..
क्या फिर आएगी केदारनाथ में आपदा

अब आगे बात करें केदारनाथ में आपदा की तो….. दरअसल वैज्ञानिकों का मानना है की…. ग्लोबल वार्मिंग के कारण उत्तराखंड में कई ग्लेशियल लेक्स बन गई हैं और अगर ये लेक्स टूटी या फटी तो इससे निचले इलाकों में…. 2013 जैसी आपदा देखने मिल सकती है….. बताते चलें की उत्तराखंड में ऐसी कई ग्लेशियल लेक्स हैं जो संवेदनशील हैं कभी भी टूट सकती हैं या फट सकती हैं …..
इनकी वजह से ग्लेशियल लेक्स आउटबर्स्ट फ्लड आने का खतरा बना हुआ है…. और सिर्फ केदारनाथ ही नहीं बल्कि उत्तराखंड के कई हिस्सों में ऐसी झीलें हैं जो ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट जैसी आपदाएं ला सकती हैं…..

क्या है ग्लेशियल लेक्स आउटबर्सट

आपको ग्लेशियल लेक्स आउटबर्सट के बारे में बताएं उससे पहले ये समझना जरूरी है की….. ग्लेशियर क्या होते हैं….. ग्लेशियर बर्फ के बड़े और पुराने हिमखंड होते हैं…. जो पानी में फ्लोट करते हैं…. जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के मुताबिक, अब तक हिमालय में 9575 ग्लेशियर मिले हैं, और यहां का सबसे बड़ा ग्लेशियर सियाचिन है…..
बात करें ग्लेशियल लेक्स बनने की तो…. जब ये ग्लेशियर पिघलने लगे हैं तो इनसे नदी बनती है…. और जहां नदी नहीं बन पाती वहां मोरेन की वजह से ग्लेशियल लेक्स आकार ले लेती है…… साथ ही मोरेन गेलेशियल लेक्स में बाउड्री भी बना लेता है…….. और जब
कई बार ये मोरेन…… लैंडस्लाइड, ऐवलांच, छोटे भूकंप, या फिर किसी ग्लेशियर के गिरने से टूट जात है तब….. ग्लेशियल लेक का सारा पानी बहार निकल जाता है और….. उस ऐसीया में बाढ़ आ जाती है…..
इसे ही ग्लेशियल लेक आउट बर्सट फ्लड कहते हैं…….

13 ग्लेशियल लेक्स की स्टडी जारी है

ग्लेशियल आउट बर्सट का खतरा ना हो ये सोचते हुए स्सेट डिजास्टर मैनेजमेंट डिपार्टमेंट ने 13 ग्लेशियल लेक्स की स्टडी करने की बात कही है…… जिनमें से 5 झीलों को हाई रिस्क जोन करार दे दिया गया है …..ये 5 झीलें पिथौरागढ़ और चमोली की बताई जा रही है……
इसी बीच…… भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने भी चेतावनी जारी कर बताया है ….. कि जुलाई महीने में पश्चिमी हिमालय में भारी बारिश और बाढ़ की आशंका है…… जुलाई में सामान्य से ज्यादा बारिश का अनुमान लगाया जा रहा है…. पश्चिमी हिमलायी राज्यों और उनकी नदियों के बेसिन में जलस्तर तेजी से बढ़ सकता है….. क्योंकि देश की कई प्रमुख नदियां यहीं से निकलती हैं…….
मौसम विभाग के प्रमुख कि मानें तो…. हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू और कश्मीर और पश्चिमी हिमालय के निचले इलाकों में सामान्य से ज्यादा बारिश का अनुमान है…. यहां पर बादल फट सकते हैं तेज बारिश हो सकती है और भूस्खलन और फ्लैश फ्लड जैसी जानलेवा घटनाएं हो सकती हैं….. अगर ऐसा हुआ तो ग्लेशिलय लेक आउटबर्स्ट की घटनाएं भी देखनें मिलेंगी

क्या काम करेगा सरकार का बचाव प्लान

लिहाजा अब उत्तराखंड में कोई दुर्घटना ना हो और हम आपदा से बचने का प्लान पहले ही रेडी कर दें इसके लिए उत्तराखंड सरकार…… ऊंचाई पर मौजूद 13 ग्लेशियल लेक्स की स्टडी करवा रही है… बता दें की ये सभी ग्लेशियल लेक्स 4000 मीटर से भी ज्यादा ऊंचाई पर हैं…. इस स्टडी से इन ग्लेशियल लेक्स की सही ऊंचाई, आकार, गहराई और खतरे का अंदाजा लगाया जाएगा…. ताकि उनसे होने वाले खतरों की तैयारी की जा सके …. ऐसा इसलिए भी हैं क्योंकि ऐसी झीलों की वजह से ही पिछले कुछ सालों में उत्तराखंड में काफी हादसे हुए हैं….. जहां कई लोग मारे गए और कईयों का तो अब तक पता नहीं चला…….
अब उत्तराखंड सरकार का ये तरीका कितना कारगर साबित होता है ये तो वक्त ही बताएगा…. आपकी इस बारे में क्या राय है हमें कमेंट कर जरूर बताएं….

Language: Hindi
Tag: लेख
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