Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Mar 2018 · 2 min read

क्या आज भी पुस्तकें हमारी मित्र हैं? ?

“किताबी कीड़ा ”
जी हाँ बचपन में मुझे मेरी बहनें और सहेलियाँ इसी नाम से पुकारा करती थीं। मेरा ही नहीं हमारी आयु वर्ग के सभी लोग उन दिनों पुस्तकों के अभ्यस्त या यूँ कहें कि एडिक्ट हुआ करते थे। और हों भी क्यों न उन दिनों पुस्तकें ही हमारे ज्ञान वर्धन व मनोरंजन का एकमात्र साधन थीं। पुस्तकों के द्वारा हमारा आयुअनुरुप क्रमिक और व्यवस्थित ज्ञान वर्धन होता था। जिस उम्र में जितना ज्ञान आवश्यक है उतना ही। न उसे ज्यादा न कम।

हमारे समय में अर्थात् सत्तर के दशक तक पुस्तकों से लगाव और पुस्तकें पठन पाठन लोगों का सर्व प्रिय शौक हुआ करता था। अधिकांश धनाढ्यों के घरों में स्वयं के पुस्तकालय हुआ करते थे। यह बड़ी शान शौकत व उच्च शिक्षित लोगों की परिचायक मानी जाती थी।

उपन्यास पढ़ने का शौक सर्वाधिक लोगों के सर चढ़ कर बोलता था। शरतचन्द्र, मुंशी प्रेमचंद, रांगेय राघव, फणीश्वरनाथ रेणु, कमलेश्वर, भीष्म साहनी ऐसे अनगिनत उपन्यासकार जनता के चहेते बने हुए थे। अस्सी के दशक में दूर दर्शन का आगमन हुआ और नब्बे के दशक के आते आते सोशल मीडिया में मोबाइल के प्रवेश के पश्चात तो पुस्तकों व पुस्तकालयों, सार्वजनिक वाचनालयों की जैसे छुट्टी कर दी। पुस्तकें तो जैसे धूल खाने लगीं।

क्या सोशल मीडिया आज जन-जन में पुस्तकों की कमी पूरी कर सकते हैं???कतई नहीं। यह अवश्य है कि आज सोशल मीडिया के इस साधन ने आपको हर विषय पर असंख्य सामग्री परोसी है किन्तु कभी-कभी ऐसा भी देखा गया है कि एक ही विषय पर भिन्न – भिन्न विचार व विपरीत नतीजे मिलते हैं। उस समय बड़ी ऊहापोह वाली स्थिति बन पड़ती है कि किसे प्रामाणिक व सत्य माना जाए। साथ ही हमारे किशोर वय तक के बालकों को मीडिया के द्वारा कई बार आयु सीमा से बढ़कर अनावश्यक ज्ञान मिलने लगता है जो उनके भावी जीवन के लिए उचित नहीं। यह पुस्तकों से मिलना संभव नहीं था।
खैर कुछ भी कहिए किताबें पढ़ने का चस्का व किताबें पढ़ने के शौक का मज़ा ही कुछ और है वो आज की नयी पीढ़ी क्या जाने।

रंजना माथुर
जयपुर (राजस्थान)
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
©

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 1 Comment · 234 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
निगाहे  नाज़  अजब  कलाम  कर  गयी ,
निगाहे नाज़ अजब कलाम कर गयी ,
Neelofar Khan
“मौन नहीं कविता रहती है”
“मौन नहीं कविता रहती है”
DrLakshman Jha Parimal
सत्य सनातन गीत है गीता
सत्य सनातन गीत है गीता
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मुहब्बत मील का पत्थर नहीं जो छूट जायेगा।
मुहब्बत मील का पत्थर नहीं जो छूट जायेगा।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
🤣🤣😂😂😀😀
🤣🤣😂😂😀😀
Dr Archana Gupta
एतबार
एतबार
Davina Amar Thakral
"अहमियत"
Dr. Kishan tandon kranti
प्यार जताना नहीं आता ...
प्यार जताना नहीं आता ...
MEENU SHARMA
उस
उस "पीठ" को बेवक़ूफ़ मानिएगा, जो "पेट" की शिकायत हमेशा उसी की
*प्रणय*
जीवन में आनंद लाना कोई कठिन काम नहीं है बस जागरूकता को जीवन
जीवन में आनंद लाना कोई कठिन काम नहीं है बस जागरूकता को जीवन
Ravikesh Jha
साधना की मन सुहानी भोर से
साधना की मन सुहानी भोर से
OM PRAKASH MEENA
यूं तो रिश्तों का अंबार लगा हुआ है ,
यूं तो रिश्तों का अंबार लगा हुआ है ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
सच हकीकत और हम बस शब्दों के साथ हैं
सच हकीकत और हम बस शब्दों के साथ हैं
Neeraj Agarwal
*प्रेम कविताएं*
*प्रेम कविताएं*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
जाने कितने चढ़ गए, फाँसी माँ के लाल ।
जाने कितने चढ़ गए, फाँसी माँ के लाल ।
sushil sarna
शाश्वत, सत्य, सनातन राम
शाश्वत, सत्य, सनातन राम
श्रीकृष्ण शुक्ल
"किसान का दर्द"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
जिंदगी वही जिया है जीता है,जिसको जिद्द है ,जिसमे जिंदादिली ह
जिंदगी वही जिया है जीता है,जिसको जिद्द है ,जिसमे जिंदादिली ह
पूर्वार्थ
मैं जी रहा हूँ जिंदगी, ऐ वतन तेरे लिए
मैं जी रहा हूँ जिंदगी, ऐ वतन तेरे लिए
gurudeenverma198
चरम सुख
चरम सुख
मनोज कर्ण
ताश के महल अब हम बनाते नहीं
ताश के महल अब हम बनाते नहीं
इंजी. संजय श्रीवास्तव
गीतिका और ग़ज़ल
गीतिका और ग़ज़ल
आचार्य ओम नीरव
*जीवन का आनन्द*
*जीवन का आनन्द*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
*हिन्दी हमारी शान है, हिन्दी हमारा मान है*
*हिन्दी हमारी शान है, हिन्दी हमारा मान है*
Dushyant Kumar
शिक्षक सभी है जो उनको करते नमन
शिक्षक सभी है जो उनको करते नमन
Seema gupta,Alwar
इस क़दर फंसे हुए है तेरी उलझनों में ऐ ज़िंदगी,
इस क़दर फंसे हुए है तेरी उलझनों में ऐ ज़िंदगी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*** नर्मदा : माँ तेरी तट पर.....!!! ***
*** नर्मदा : माँ तेरी तट पर.....!!! ***
VEDANTA PATEL
*सस्ती सबसे चाय है, गरम समोसा साथ (कुंडलिया)*
*सस्ती सबसे चाय है, गरम समोसा साथ (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
काली हवा ( ये दिल्ली है मेरे यार...)
काली हवा ( ये दिल्ली है मेरे यार...)
Manju Singh
गर्म दोपहर की ठंढी शाम हो तुम
गर्म दोपहर की ठंढी शाम हो तुम
Rituraj shivem verma
Loading...