कौन सा हुनर है जिससे मुख़ातिब नही हूं मैं,
कौन सा हुनर है जिससे मुख़ातिब नही हूं मैं,
अब अपनों को भी कब का भूल गया हूं मैं,
तेरी यादें समाई हैं मेरे जहन में इस क़दर,
तेरी चाह में अब ख़ुद को भी भूल गया हूं मैं,
©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”
कौन सा हुनर है जिससे मुख़ातिब नही हूं मैं,
अब अपनों को भी कब का भूल गया हूं मैं,
तेरी यादें समाई हैं मेरे जहन में इस क़दर,
तेरी चाह में अब ख़ुद को भी भूल गया हूं मैं,
©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”