बाज़ी
(1.) कौन मरेगा बाज़ी?
शिंदे एकनाथ नहीं, रहे ठाकरे संग
अतः दोनों के मध्य में, अब निर्णायक जंग
अब निर्णायक जंग, कौन मारेगा बाज़ी
शिवसेना के आज, बने है दोनों क़ाज़ी
महावीर कविराय, खुदा के दोनों बंदे
जाने जीते कौन, ठाकरे या फिर शिंदे
(2.) मार ली अब तो बाज़ी
सेना के शिंदे चले, लेकर सबको साथ
महाराष्ट्र के नाथ अब, रहे ना एकनाथ
रहे ना एकनाथ, मार ली अब तो बाज़ी
उद्ध्व-राउत हाय, रहे ना ग़ाज़ी-क़ाज़ी
महावीर कविराय, नहीं कुछ लेना-देना
गए ठाकरे यार, चैन से है शिवसेना
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