कौन किसके बिन अधूरा है
कविता बिन कवि अधूरा है,
सरिता बिन सागर अधूरा है।
जब तक उनका न हो संगम,
काव्य व जल संचय अधूरा है।।
स्वर बिन व्यंजन अधूरा है,
व्यंजन बिन शब्द अधूरा है।
जब तक ये सब साथ न हो,
वाक्य का बनना अधूरा है।।
कलम बिन कागज अधूरा है,
साहित्य बिन समाज अधूरा है।
जब तक सबका मिश्रण न हो,
साहित्य सर्जन काम अधूरा है।।
सरस्वती बिन ज्ञान अधूरा है,
पार्वती बिन शंकर अधूरा है।
जब तक इनका आशीर्वाद न हो,
विद्या का भंडार अधूरा है।।
नारी के बिना नर अधूरा है,
पत्नी बिन पति अधूरा है।
जब तक इनका मिलन न हो,
ये सारा संसार अधूरा है।।
माली बिन बाग अधूरा है,
ताली बिन ताला अधूरा है।
जब तक ताले में ताली न लगे
तब तक सुरक्षा घेरा अधूरा है।।
राधा बिन कृष्ण भी अधूरे है,
गोपियां बिन वृंदाबन अधूरा है।
जब तक कृष्ण की बंशी न बजे,
सारा गोकुल वृंदाबन अधूरा है।।
गुरु बिन ज्ञान अधूरा है,
सूर्य बिन दिन अधूरा है
जब तक ये समक्ष न हो,
प्रकाश का आना अधूरा है।।
काज बिन बटन अधूरा है,
सिलाई बिन टेलर अधूरा है।
जब तक कैंची न चलेगी,
कपड़े का कटना अधूरा है।।
कवि बिन काव्य मंच अधूरा है,
श्रोता बिन सब कुछ अधूरा है।
सब एक दूसरे के पूरक है,
ताली बिन मजा आना अधूरा है।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम