कौन कहता है कि आसमां झुकता नहीं है
कौन कहता है कि आसमां झुकता नहीं है
सिर उठाकर तो देख वो है कि भी नहीं है
क्यों अपने वजूद को ढूंढता फिर रहा है तूँ
खुद में झांक कर देख कोई तुझसा नहीं है
कौन कहता है कि आसमां झुकता नहीं है
सिर उठाकर तो देख वो है कि भी नहीं है
क्यों अपने वजूद को ढूंढता फिर रहा है तूँ
खुद में झांक कर देख कोई तुझसा नहीं है