कौन कमबख्त नौकरी के लिए आता है,
कौन कमबख्त नौकरी के लिए आता है,
तेरे दीदार की खातिर ये चला आता है।
है मय्यशर मुझे जहां की हर शौक सुकून,
मगर तेरे चेहरे में खुद का किरदार नज़र आता है।। “शून्य”
कौन कमबख्त नौकरी के लिए आता है,
तेरे दीदार की खातिर ये चला आता है।
है मय्यशर मुझे जहां की हर शौक सुकून,
मगर तेरे चेहरे में खुद का किरदार नज़र आता है।। “शून्य”