कौन, कब, किसका और कितना अपना है,
कौन, कब, किसका और कितना अपना है,
ये सवाल हर बार वक्त का सपना है।
जीवन की राहों में चलते रहो,
हर मोड़ पर छुपा कोई अपना है।
प्रयास करो, हार से न डरना,
हर अनुभव में जीत का खजाना है।
लक्ष्य की ओर बढ़ते कदम थमते नहीं,
हौसलों से भरा हर अपना फसाना है।
मिले अगर मंज़िल तो शुक्र मनाना,
अनुभव भी तो जीवन का नज़राना है।
वक्त बताएगा किसने क्या पाया,
क्योंकि हर जवाब में छुपा इक अफसाना है।