कोशिश पर लिखे अशआर
मात दी है हमें मुकदर ने ।
कोशिशे हमनें करके देखी हैं ।।
कोशिशे न हो गर हक़ीकत में ।
ख़्वाब ताबीर पा नहीं सकता ।।
कोशिश करो तुम से ये गुनाह
कभी भूल कर न हो।
किसी की आंखों में आंसूओं की
वजह तुम न हो ।।
कोशिशों में कमी रही होगी ।
हाथ क़िस्मत को मलते देखा है ।।
कोशिशे दिल ने करके देखी है।
दिल की बेचैनियाँ नहीं जाती ।।
कोशिशों में कमी कोई भी न थी।
हम मुकद्दर से मात खा बैठे ।।
पढ़ने की कोशिशें सभी बेकार है तेरी ।
लफ्जों में जिंदगी को समेटा न जाएगा ।।
करो कोशिश
शिकायत न रहे खुद से।
बहुत तकलीफ देता है
किसी अफ़सोस में जीना ।।
छोड़ों न वक्त पर न मुकद्दर का मुंह तको ।
कोशिश करो बस खुद से नज़रें मिला सको ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद