कोरोना
कोरोना के कहर से ,आफत में हर जान ।
अपनी गलती की सजा ,भुगत रहा इंसान ।।
भुगत रहा इंसान ,कर जीवों का संहार ।
विवशता वश देखे ,कुदरत की निष्ठुर मार ।
जो चाहो कल्याण ,जिंदगी से ना रोना ।
घर पर रहो सुरक्षित ,नष्ट होगा कोरोना ।।
– जय श्री सैनी ‘सायक’