“कोरोना लहर”
“कोरोना लहर”
ये लहर,
कोरोना लहर,
अत्यंत ज्वर इसका कहर,
हम तुम न जाने क्यूँ इतने बेखबर,
क्यूँ न होता सबर,
बेवजह क्यूँ घूमें दर बदर,
इधर उधर,
ये लहर,
कोरोना लहर…
1.
खामियाँ है कहाँ कितनी,
कुछ तो हमें भी है पता।
कोई रक्षक कोई भक्षक,
कोई प्रत्यक्ष कोई लापता।।
क्यूँ है इतनी मारामारी,
क्यूँ स्वार्थ भरी वहशी नजर,
ये लहर,
कोरोना लहर,
अत्यंत ज्वर इसका कहर…….
2.
कहीं नेक कर्म,
कहीं बन्दर बाट।
कहीं दान धर्म,
कहीं लूट-पाट।।
इतनी शंका, इतना अंतर,
इतना भय, इतना डर।।
ये लहर,
कोरोना लहर,
अत्यंत ज्वर इसका कहर……
3.
ये विकट समय औ’ दौर चला,
जीवन-मरण का तुक फासला।
कुछ मिल गया, कुछ छूट गया,
अपने अपने कर्मों का फल मिला।।
कुछ अभागे हैं,
कुछ बड़भागे हैं।
कुछ हैं जो अभी तक नींद में,
कुछ नेक नीयत,नेक इरादे हैं।।
सब व्यस्त,
सब बेचैन से,
भूल गए खुशनुमा डगर।
ये लहर
कोरोना लहर,
अत्यंत ज्वर इसका कहर…
4.
अपनों के अब संग खड़े हों,
हौंसले भी अब और बड़े हो।।
बस मनोबल न गिरने पाए।
ये दौर भी गुजर जाएगा ना घबराएं।।
सब स्वस्थ रहें
सब मस्त रहें,
अपनी दिनचर्या में व्यस्त रहें।
दुर्गुण त्यागें, तनाव त्यागें।
सहायक बने,नाहक न भागे।
सकारात्मक ऊर्जा,
सकारात्मक असर।
फिर एक बार जीतेंगे सफर।
ये लहर,
कोरोना लहर,
अत्यंत ज्वर इसका कहर……..
©एम०एस०डब्ल्यु० सुनील सैनी “सीना”
जीन्द, हरियाणा, भारत।