कोरोना दोहे
265• कोरोना दोहे
1) सांच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप।
घर मा चुप्पै बैठि रहो,जाइ किरौना भाग।
2) प्रेम न बाड़ी उपजै, प्रेम न हाट बिकाय।
‘कोरोना ‘ सर्वत्र सुलभ,जो चाहे लै जाय।
3) पोथी पढ़ि-पढ़ि जग मुआ,पंडित भया न कोय।
‘कोरोना ‘-किच-किच पढ़ै,दिन भर बिजी होय ।
4) ‘कोरोना-कोरोना’ रट्यो, कहूँ ना घर मा दीख।
ज्यों निकरौ घर बाहिरे, गयो किरौना दीख।
5) ‘कोरोना ‘ से दूरी भली,जो कबहूं दिख जाय।
‘कोरोना ‘ से दोस्ती, जनम वृथा हुइ जाय।
6) ‘कोरोना ‘ उछलो नहीं ,बस चार दिनों की बात ।
तबतक अपने घर रहो,सपनेहुँ न लांघो द्वार ।
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——राजेंद्र प्रसाद गुप्ता (रचना,13/04/2020)•