Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Mar 2020 · 2 min read

कोरोना की जंग में मूच्छें गंवाई!

मुझे प्यारी थी अपनी मुच्छे,
ज्यादा बड़ी नहीं थी मेरी मुच्छे!
छोटी सी थी मेरी मुच्छे,
पर प्यारी सी थी मेरी मूच्छे!
रखता था मैं उसका ख्याल,
बड़े जतन से रखा था संभाल!
हर रोज उसे सहलाता था,
बढ जाए जो कोई बाल,
कर देता था मै उसे हलाल!
ताव भले ही नहीं देता था,
पर मन ही मन इठलाता था !
अचानक आया ये कोरोना,मेरी मुच्छों को लील गया,
ऐसा कहर बरपाया इसने,सरकारों को भी कंम्प कपा गया!
मेरी तो बिसात है क्या?,बड़े-बड़े घबराये हैं!
कैद हो गए अपने ही घरों में,
दीन हीन से दिख रहे,कुछ करते नही बन पाए हैं!
मैं भी ठहरा हूँ, कमरे. पर रुक कर,
कमरा जो किराये का है!
आए थे हम पति-पत्नी,
अपने बहू बेटे के आमंत्रण पर!
कार्यक्रम तय किया था उन्होंने,
सपरिवार देव दर्शन के भ्रमण पर!
एक यात्रा कर भी ली पूरी,
दूसरी थी अभी अधूरी!
तभी कोरोना-कोरोना का शोर मचा,
आवागमन पर विराम लगा!
अब हम कमरे पर ही हैं ठिठके,
ना दर्शन को जा पाए,और ना ही घर को लौट सके!
थोड़े दिनों की थी यात्रा हमारी,
इंतजाम भी थोड़ा ही किया !
दाढ़ी का तो ख्याल रहा,पर मूच्छ की न चिंता की,
बस यही चूक हो गई,कैंची घर पर ही छूट गई!
दाढ़ी तो बन जाती रही,पर मूच्छों का न इंतजाम हुआ!
मूच्छें थी कि बढ़ती जाती थी,
इधर-उधर बिखर जाती थीं!
कभी संवारता था मैं जिसको,
अब वह मुझ को चिढा रही थी!
एक ओर कोरोना का संकट,
दूसरी ओर मूच्छों की उठक-भटक!
मैं ज्यों-ज्यों उन्हें संवारु,वह बिखर जाएँ,
जितना मैं उसे सहलाऊँ,
उतना ही वह उलझ-उलझ जाएँ!
चेहरा हो रहा था बदरंग,
मूच्छें हो रही थी मलंग-मतंग,
करने लगी थी अब मुझे ही तंग!
मैं भी रह गया था दंग,
मुझे उसने इतना उकशाया,
मेरा धैर्य काम ना आया!
मैंने रेजर उठाया,फिर सीधे मूच्छों पर लगाया!
एक झटके में उन्हें हटाया,
अब चेहरा भी अजीब लगता है,
गुस्सा भी तो अपने पर ही चलता है!
कोरोना तो बेशर्म,निबटा नही है?
मेरी मूच्छों को ही निबटा गया!
हे प्रभु! क्या तेरी यही ईच्छा है।।

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 563 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Jaikrishan Uniyal
View all
You may also like:
संवाद और समय रिश्ते को जिंदा रखते हैं ।
संवाद और समय रिश्ते को जिंदा रखते हैं ।
Dr. Sunita Singh
पुरुष नहीं रोए शमशान में भी
पुरुष नहीं रोए शमशान में भी
Rahul Singh
Oh life ,do you take account!
Oh life ,do you take account!
Bidyadhar Mantry
3206.*पूर्णिका*
3206.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हम मुहब्बत के परस्तार रियाज़ी तो नहीं
हम मुहब्बत के परस्तार रियाज़ी तो नहीं
Nazir Nazar
मौन
मौन
P S Dhami
आंखें मूंदे हैं
आंखें मूंदे हैं
इंजी. संजय श्रीवास्तव
..
..
*प्रणय*
मुझे अकेले ही चलने दो ,यह है मेरा सफर
मुझे अकेले ही चलने दो ,यह है मेरा सफर
कवि दीपक बवेजा
11-🌸-उम्मीद 🌸
11-🌸-उम्मीद 🌸
Mahima shukla
मैं रूठूं तो मनाना जानता है
मैं रूठूं तो मनाना जानता है
Monika Arora
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
नशा नाश करके रहे
नशा नाश करके रहे
विनोद सिल्ला
जीवन संगिनी
जीवन संगिनी
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
राहें तो बेअंत हैं,
राहें तो बेअंत हैं,
sushil sarna
🌹जिन्दगी🌹
🌹जिन्दगी🌹
Dr .Shweta sood 'Madhu'
मैं
मैं
Vivek saswat Shukla
AE888 - Nhà cái nổi bật với Dịch Vụ Hỗ Trợ Khách Hàng Chuyên
AE888 - Nhà cái nổi bật với Dịch Vụ Hỗ Trợ Khách Hàng Chuyên
AE888
रातें सारी तकते बीतीं
रातें सारी तकते बीतीं
Suryakant Dwivedi
शाम सवेरे हे माँ, लेते हैं तेरा हम नाम
शाम सवेरे हे माँ, लेते हैं तेरा हम नाम
gurudeenverma198
हार मैं मानू नहीं
हार मैं मानू नहीं
Anamika Tiwari 'annpurna '
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
बेफिक्र अंदाज
बेफिक्र अंदाज
SHAMA PARVEEN
ब्रह्मचारिणी
ब्रह्मचारिणी
surenderpal vaidya
प्रभु श्रीराम
प्रभु श्रीराम
Dr. Upasana Pandey
*शर्म-हया*
*शर्म-हया*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"याद रहे"
Dr. Kishan tandon kranti
आसानी से कोई चीज मिल जाएं
आसानी से कोई चीज मिल जाएं
शेखर सिंह
शीर्षक - गुरु ईश्वर
शीर्षक - गुरु ईश्वर
Neeraj Agarwal
മനസിന്റെ മണ്ണിചെപ്പിൽ ഒളിപ്പിച്ച നിധി പോലെ ഇന്നും നിന്നെ ഞാൻ
മനസിന്റെ മണ്ണിചെപ്പിൽ ഒളിപ്പിച്ച നിധി പോലെ ഇന്നും നിന്നെ ഞാൻ
Sreeraj
Loading...