नर्स डाॅक्टर सेवकजन , इन सबका आभार
तब्लीगी मरकज हुआ , कैसा पतित जमात ।
किया कलंकित राष्ट्र को , और पृष्ठ आघात ।।
कोरोना का कोप है , बंद हुए बाजार ।
सड़क दुकाने हाट सब ,कब होंगे गुलजार ।।
लोग सभी बेचैन हैं , घर में सब हैं कैद ।
बाहर है पहरा बड़ा , पुलिस खड़ी मुस्तैद ।।
जीतेंगे हम निश्चय ही , कोरोना से जंग ।
देख हमारे हौसले , देश हैं सारे दंग ।।
संकट चाहे कितना ही ,करे वार पर वार ।
अटल-अचल विश्वास है , होगी इसकी हार ।।
कोरोना के कहर से , हुए सभी भयभीत ।
सुख-दुख का आवागमन ,यही नियति की रीत ।।
देख विषम संकट दशा , होना नहीं अधीर ।
धीरज , दृढ़ता , कर्म से , बदलेंगे तस्वीर ।।
घर से न निकलो बाहर , घर ही अपनी ढाल ।
छद्म शत्रु की चाल देख , बदलो अपनी चाल ।।
कोरोना का संक्रमण , ये है संकट काल ।
विपदा में भी कर्मवीर , रहता है खुशहाल ।।
नर्स डाॅक्टर सेवकजन , इन सबका आभार ।
मृत्युलोक में मूरत है , ईश्वर की साकार ।।
धन्य-धन्य हैं वे सभी , झेल रहे प्रतिघात ।
सेवा जिनकी साधना , लगे हुए दिन- रात ।।
अशोक सोनी
भिलाई ।