कोरी किताब
कोरी किताब
एक कोरी किताब
बन कर प्रकृति के निकट जाना
मौन होकर उसके
संगीत को गहनता से अनुभव करना
उससे एकाग्रचित्त हो
देर तक संवाद करते रहना
अनुभव के सागर में
गोते लगाने की क्षमता होना
उम्मीद की
रोशनी आने के लिए
अपने मन के
सभी बंद दरवाजे/खिड़कियाँ खोलना
सब कुछ करते/देते हुए
चुटकी भर प्यार/ध्यान
अपने लिए भी करना
यह भी तो जीवन का रूप रूप है
इसे भी तो कभी जीना,
सुनो!
नदी के भीतर
एक और नदी अनवरत बहती है
सागर के भीतर
एक और सागर हिलोरें मारता है
स्वयं अपने भीतर
एक और स्वयं का रूप है
जिसे हम जानते तक नहीं
इनसे मिलना हो तो
मौन की गहराइयों में उतरो कभी
बार-बार उतरो
जब तक अनुभव न कर लो
जब तक जान न लो अच्छी तरह
कि मौन की शक्ति में
जो निहित है
वह बहुत अलौकिक है।
डा० भारती वर्मा बौड़ाई