कोतवाली में आशिक
आज मेरे कत्ल के निकल रहें फरमान थे
सब के हाथ में मेरे लिए तो तीर कमान थे
वो मेरा कत्ल करके भी बच निकला यारों
कोतवाली में आशिक तो उसके दीवान थे
अशोक सपड़ा की कलम से
आज मेरे कत्ल के निकल रहें फरमान थे
सब के हाथ में मेरे लिए तो तीर कमान थे
वो मेरा कत्ल करके भी बच निकला यारों
कोतवाली में आशिक तो उसके दीवान थे
अशोक सपड़ा की कलम से