कोई हंस रहा है कोई रो रहा है 【निर्गुण भजन】
कोई हंस रहा है, कोई रो रहा है
ओ दुनियाँँ के मालिक तू, कहाँँ सो रहा है
कोई हंस………..
1) ये कैसी अनोखी है, जीवन की रेखा
कोई रोता तो, कोई मगरूर देखा
तेरा न्याय पल्डा़, कहाँँ झुक रहा है
कोई हंस…………..
2) किसी घर का दामन, खुशी से भरा है
कोई घर क्यों मातम के, भय से डरा है
बता लिखने वाले तू, क्या लिख रहा है
कोई हंस …………
3) कोई शानो शौकत से, ना वाज आये
गरीबी किसी को जी, भर के रुलाये
ओ सुन देने वाले, तू ये क्या दे रहा है
कोई हंस………….
4) तेरे भव की नैया में, बैठे हैं हम सब
तू इतना बता एक, होवेंगे हम कब
तेरी आस में सब, स्वाहा हो रहा है
कोई हंस…………
लेखक:- खैमसिहं सैनी
गाँव – गोविंदपुरा, पो. मुहारी,
तहसील – वैर, भरतपुर
M.A, M.Ed, B.Ed
Mob.No. 9266034599