* कोई साल नहीं होगा (कोरोना-गीत)*
* कोई साल नहीं होगा (कोरोना-गीत)*
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जैसा यह साल रहा वैसा, कोई साल नहीं होगा
( 1 )
नवसंवत के शुभागमन के साथ घरों में बंद हुए
पूजागृह में परमेश्वर की पूजा के स्वर मंद हुए
नहीं आठ दिन दुर्गा जी का धूमधाम से पाठ हुआ
कहाँ रामनवमी का पहले जैसा सुंदर ठाठ हुआ
इस विभीषिका की तुलना में, कुछ विकराल नहीं होगा
( 2 )
सहमी – सहमी हुई राखियाँ ,दबी- ढकी- सी आईं
कहाँ झाँकियाँ कृष्ण – जन्म पर देखी गईं सजाईं
पता नहीं किसने किसके घर जा पंजीरी खाई
त्यौहारों पर रही मृत्यु की मँडराती परछाई
बजट-फेल वाला किस-किसका, सोचो हाल नहीं होगा
( 3 )
मुख पर मास्क लगाए किसने सोचा था घूमेंगे ?
दिन में छह-छह बार हाथ को साबुन से चूमेंगे
अपनों से यह किसे पता था दूरी हो जाएगी
तीजे तक की रस्म ऑनलाइन बस हो पाएगी
इतिहासों में कभी कहीं इस, जैसा काल नहीं होगा
( 4 )
पूरे दो-दो माह दुकानों पर लटके थे ताले
बाल बढ़ाए घूम रहे थे सब जन हिप्पी – वाले
खाली जेबों में अब कैसे सबका साल कटेगा
भूख और रोटी का अंतर अब किस तरह पटेगा
सिरहाने है खड़ा रोग तो, ऊँचा भाल नहीं होगा
जैसा यह साल रहा वैसा, कोई साल नहीं होगा
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451