कोई शौक नहीं मेरी ज़रूरत है शायरी।
रौशन करे उस नूर की सूरत है शायरी।
कोई शौक नहीं मेरी जरुरत है शायरी।
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ये साथ न देती तो उनमें डूब ही जाता।
ज़ज़्बात बह निकलने की सूरत है शायरी।
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सौ मुश्किलों को झेल गया इसके सहारे।
टूटा नहीं क्योंकि मेरी कूवत है शायरी।
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मिलती है मेरी रूह को ख़ुराक भी इससे।
मज़दूर की मेहनत है मशक्कत है शायरी।
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करते नहीं कबूल सब मर्ज़ी की बात है।
मिलती सभी दिलों को है रहमत की शायरी।
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चेहरा तो इक नकाब है सबको ये खबर है।
सूरत की सीरतों की सच शोहरत है शायरी।
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मुझको ” नज़र” देती है मौका खुद को तौल लूँ।
मेरे लिए वो पाक पल मोहलत है शायरी।