कोई मिले जो गले लगा ले
कोई मिले जो गले लगा ले
आकर मेरा मन बहला दे
मिलकर सारे दुःख बांट ले
अपने-पन से मुझे डाँट दे
पढ़ ले भाषा इन आंखों की
नही जरूरत फिर लाखों की
©दुष्यन्त ‘बाबा’
कोई मिले जो गले लगा ले
आकर मेरा मन बहला दे
मिलकर सारे दुःख बांट ले
अपने-पन से मुझे डाँट दे
पढ़ ले भाषा इन आंखों की
नही जरूरत फिर लाखों की
©दुष्यन्त ‘बाबा’