कोई फरिश्ता नहीं ।
नगमा बनकर यूँ लबों पर सँवर जाऊंगा।
सुकूँन बनकर तेरी रूह में उतर जाऊंगा।।
मैं इंसान हूँ ज़िन्दगी में कोई फरिशता नहीं।
जितना भी होगा मुझसे मैं वो कर जाऊंगा।।
✍✍ताज मोहम्मद✍✍
नगमा बनकर यूँ लबों पर सँवर जाऊंगा।
सुकूँन बनकर तेरी रूह में उतर जाऊंगा।।
मैं इंसान हूँ ज़िन्दगी में कोई फरिशता नहीं।
जितना भी होगा मुझसे मैं वो कर जाऊंगा।।
✍✍ताज मोहम्मद✍✍