कोई पैग़ाम आएगा (नई ग़ज़ल) Vinit Singh Shayar
हमारे दिल को ना जाने कब आराम आएगा
बेसबब कब तक लब पे तुम्हारा नाम आएगा
कभी आना हुआ तेरा हमारे कब्र के तरफ़
दुपट्टा छोड़ कर जाना हमारे काम आएगा
बड़ी सहमी सी रहती है मेरी आँखें न जाने क्यों
न जाने कौन सा अब सर मेरे इल्ज़ाम आएगा
लिखा है जो भी क़िस्मत में बता दे ऐ मेरे मालिक
रखी उम्मीद है एक दिन कोई पैग़ाम आएगा
ज़माना भर है दीवाना, वो किसके हाथ आई है
वहाँ कोई गया तो सोच लो नाकाम आएगा
~विनीत सिंह