कोई नाराज नहीं चाहिये
कोई नाराज नहीं चाहिये
कितने अमन पसंद लोग है यहाँ किसी को कोई आवाज नही चाहिये।
रसूख तो खुदा के फरिश्ते जैसा हो पर रोजा -ऐ- नमाज नही चाहिये।
कहिं साख कम न हो जाये बिरादरी में हुजुर -ऐ -आला की इसलिए ।
हकीकत से वाकिफ़ होकर भी चुप है क्योकि कोई नाराज नहीं चाहिये।।
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।। डी के निवातिया ।।