कोई नही,कोई नहीं..
उदास उदास सी है जिदंगी, मुक्तयार कोई नहीं!
लवों से हसी गायब सी, हसाने को कोई नहीं!!
नैना भी सूखे से, सावन सा एहसास कोई नहीं!
दिल मे है बीरानगी, घटाएें केसों की कोई नहीं!
तन भी खोखला सा है,चंचलता भी कोई नहीं!
बाक्य भी हो गये नदारत, बातें करता कोई नही!
जिस आबाज से उठते, कहता उससे कोई नहीं!
फीकी सी है दुनिया मेरी,मिठास कहीं कोई नहीं,
रंजीत घोसी