कोई नहीं मानता __घनाक्षरी
इनसे भी कहा मैंने उनसे भी कहा मैंने।
सुनी नहीं किसी ने भी कोई नहीं मानता।।
लड़ते झगड़ते हैं आपस में सब यहां।
समझाऊं कैसे उन्हे अपनी ही तानता।।
रहना है प्रेम से ही कहना है यही मेरा।
सब कुछ प्रेम में है मैं तो यही जानता ।।
चार दिन की कहानी दुनिया है आनी जानी।
रोज-रोज अनुनय यही तो बखानता।।
राजेश व्यास अनुनय