कोई नहीं किसीका
जिसे भी अपना माना
उसने अंगूठा दिखाया
रिश्ते हैं बस नाम के
कोई नहीं किसीका
क्या फर्क पड़ता ,
अपना हो या बेगाना
टका हैं तो टेक
नहीं तो टकमक देख
क्या फर्क पड़ता हैं
कोई जिये या मरे
मतलबी दुनिया सारी
तिजोरी अपनी भरे
जो माँ बाप , बीवी का न हुवा
वो अपना क्या खाक होगा
अभी भी वक्त हैं सुधर जावो
वर्ना ना वक्त होगा कोई मौका
देश के प्रति कर्तव्य भावना से
न जाना मुकर ,चलो आवो
हम सब मिलकर फिरसे
बनाये भारतवर्ष को स्वर्ग